लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक ( Lokmanya Bal Gangadhar Tilak ) एक भारतीय राष्ट्रवादी, शिक्षक, समाज सुधारक, वकील और स्वतंत्रता सेनानी थे! वे भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के पहले लोकप्रिय जन नेता थे, इसलिए उन्हें लोकमान्य की उपाधि भी मिली! वे स्वराज के सबसे मजबूत अधिवक्ता थे! उनका मराठी भाषा में दिया गया नारा “स्वराज्य हा माझा जन्मसिद्ध हक्क आहे आणि तो मी मिळवणारच” (स्वराज मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है और मैं इसे लेकर ही रहूँगा) बहुत प्रसिद्ध हुआ। इन्होंने ही सबसे पहले पूर्ण स्वराज की मांग की थी!
व्यक्तिगत जीवन :
लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक का जन्म 23 जुलाई 1856 ईo को महाराष्ट्र के रत्नागिरी जिले के चिखली गाँव में एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था। उनका मूल नाम केशव गंगाधर तिलक था! इनके पिता श्री गंगाधर रामचंद्र तिलक अपने समय के बहुत लोकप्रिय शिक्षक थे। जब तिलक 16 वर्ष के थे तब 1872 ईo में इनके पिता का निधन हो गया। 1876 ईo में उन्होंने डेक्कन कॉलेज से बीo एo (ऑनर्स) की परीक्षा उत्तीर्ण की। 1879 ईo में बॉम्बे विश्वविद्यालय से LLB की परीक्षा पास की। और पढ़ें : नेताजी सुभाष चन्द्र बोस के विचार और जीवन परिचय
जिसके बाद इन्होने निर्णय किया था की ये सरकारी नौकरी नहीं करेंगे, इसके बजाय वो भारत में शिक्षा का स्तर सुधारने के लिए काम करेंगे। इन्होंने कुछ समय तक स्कूल और कालेजों में गणित पढ़ाया। फिर नई पीढ़ी को अच्छी व सस्ती शिक्षा देने के लिए इन्होंने दक्कन शिक्षा सोसायटी की स्थापना की। इन्होंने अंग्रेजी भाषा में मराठा दर्पण नाम से और 1881 ईo में मराठा भाषा में केसरी नामक दो दैनिक पत्र निकाले। केसरी में छपने वाले उनके लेखों की वजह से उन्हें कई बार जेल भी जाना पड़ा था।
राजनीतिक जीवन :
वे 1890 ईo में कांग्रेस में शामिल हुए, लेकिन ये कांग्रेस के नरमपंथियों के रवैये से संतुष्ट नहीं थे। ये कांग्रेस के गरम दल के नेता थे और नरमपंथियों के विरुद्ध बोलने लगे। इसी वजह से 1907 ईo में कांग्रेस दो गुटों गरम दल और नरम दल में विभाजित हो गयी। गरम दल में लोकमान्य तिलक के साथ लाला लाजपत राय, बिपिन चन्द्र पाल थे, इन्हीं तीनों को लाल बाल पाल के नाम से जाना जाने लगा!
1908 ईo में इन्होंने प्रफुल्ल चाकी और खुदीराम बोस के बम हमले का समर्थन किया। इसी के कारण इन्हें गिरफ्तार कर 6 साल की सजा सुनाई गयी और मांडले जेल में भेज दिया गया। इसी जेल में इन्होंने गीता रहस्य नामक पुस्तक लिखी। इनके कारावास के दौरान ही इनकी पत्नी की मृत्यु हो गयी। वे इस बात से अत्यंत दुखी हुए कि वे अपनी पत्नी के अंतिम दर्शन भी नहीं कर पाए।
जेल से आने के बाद 1916 ईo में इन्होंने एनी बेसेंट के साथ मिलकर अखिल भारतीय होमरूल लीग की स्थापना की। होम रूल आन्दोलन के दौरान बाल गंगाधर तिलक को काफी प्रसिद्धी मिली, जिस कारण उन्हें “लोकमान्य” की उपाधि मिली थी। इस आन्दोलन का मुख्य उद्देश्य भारत में स्वराज स्थापित करना था। यह कोई सत्याग्रह आन्दोलन जैसा नहीं था। इसमें चार या पांच लोगों की टुकड़ियां बनाई जाती थी जो पूरे भारत में बड़े-बड़े राजनेताओं और वकीलों से मिलकर होम रूल लीग का मतलब समझाया करते थे। उन्होंने ही सबसे पहले ब्रिटिश राज के दौरान पूर्ण स्वराज की मांग उठाई।
लोकमान्य तिलक ने जनजागृति का कार्यक्रम पूरा करने के लिए महाराष्ट्र में गणेश उत्सव तथा शिवाजी उत्सव सप्ताह भर मनाना प्रारंभ किया। इन त्योहारों के माध्यम से जनता में देशप्रेम और अंग्रेजों के अन्यायों के विरुद्ध संघर्ष का साहस भरा गया। 1 अगस्त 1920 को बम्बई में इनका स्वर्गवास हो गया। मरणोपरांत श्रद्धांजलि देते हुए गाँधी जी ने इन्हें आधुनिक भारत का निर्माता और नेहरु जी ने भारतीय क्रांति का जनक कहा।
जीवन परिचय :
जन्म तिथि / मृत्यु : | 23 जुलाई 1856 / 1 अगस्त 1920 |
उपनाम : | लोकमान्य |
पूरा नाम / वास्तविक नाम : | बाल गंगाधर तिलक / केशव गंगाधर तिलक / Bal Gangadhar Tilak |
जन्म स्थान : | चिखली, रत्नागिरी, महाराष्ट्र |
नागरिकता / राष्ट्रीयता : | भारतीय |
गृह नगर : | रत्नागिरी, महाराष्ट्र, भारत |
धर्म / जाति : | हिन्दू / ब्राह्मण |
शिक्षा / शैक्षिक योग्यता : | बि० ए०, एल एल बी |
स्कूल / विद्यालय : | ज्ञात नहीं |
महाविद्यालय / विश्वविद्यालय : | डेक्कन कॉलेज / बॉम्बे विश्वविद्यालय |
पेशा / व्यवसाय : | शिक्षक, वकील |
वैवाहिक स्थिति : | विवाहित |
पत्नी : | सत्यभामा बाई तिलक |
माता – पिता : | पिता – श्री गंगाधर रामचंद्र तिलक, माता – पार्वती बाई गंगाधर |
लोकमान्य तिलक जी की कुछ प्रमुख कृतियाँ इस प्रकार हैं :
- श्रीमद भागवत गीता की व्याख्या को लेकर लिखी गयी गीता रहस्य (मांडले जेल से)
- The Orion ( ‘द ओरियन’ – वेद काल का निर्णय )
- तिलक पंचांग पद्धति
- द हिन्दू फिलोसोफी ऑफ़ लाइफ, एथिक्स एंड रिलिजन
- The Arctic Home in The Vedas ( आर्यों का मूल निवास स्थान )
- Vedic Chronology & Vedang Jyotish ( वेदों का काल निर्णय और वेदांग ज्योतिष )
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